युवा आदिवासी विकास संगठन का इति हास
युवा आदिवासी विकास संगठन एक आदिवासियों का अनूठा संगठन है, YAVS द्वारा जनवरी 2011मे प्रदेश स्तरीय आदिवासी बैठक का आयोजन मध्यप्रदेश के बैतूल शहर मे किया गया, जिसमे जिले के लगभग सभी क्षेत्रो के आदिवासी युवा शामिल हुये, ये ऐसा पहला मौका था, जब अनेक छोटे-बड़े सामाजिक संगठन के युवा YAVS के बैनर तले आये और विचार धारा को खूब सराहा गया, और यावस संगठन के संचालक के लिए आगे की रणनीति बनाई, विचार विमर्श किया गया, कार्यक्रम मे जिले के अनेक हिस्सों के अलावा प्रदेश मे रहने वाले भारतीय आदिवासी, अन्य सामाजिक आदिवासी सदस्य शामिल हुये, इस कार्यक्रम ने YAVS युवाओ के अंदर विश्वास और उत्साह पैदा किया, बैतूल के प्रदेश स्तरीय बैठक से उत्साहित YAVS युवाओ ने जिले एवं प्रदेश मे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रो मे गांव गांव मे जाकर आदिवासी लोगो को एकजुट करने, जल जंगल जमीन एवं अपने संवैधानिक आधिकारो के लिए संगठित होकर आवाज उठाने के लिए जागरूकता फैलाई गई, अन्य संगठनो के द्वारा जगह जगह आयोजन को पूर्णतः सहयोग किया गया, जिसमे YAVS की रणनीति से लोगो को अवगत कराया गया, नगरों मे छोटी छोटी मीटिंग के माध्यम से जिले एवं प्रदेश के समस्त आदिवासी समाज के लोगो को एकजुट करने की रणनीति बनाई, संगठन के अधिकतर सदस्य युवा अवस्था के थे, अति उत्साहित होकर अपने सामाजिक उदेश्यों की पूर्ति के लिए आगे बढ़ते रहे.
युवा आदिवासी विकास संगठन कब और कैसे:-
युवा आदिवासी विकास संगठन जिसका संक्षिप्त नाम यावस (YAVS) है, और यह एक वैचारिक संगठन है, जो आदिवासी के नवीन आकार लेते युवाओ को वैचारिक, सामाजिक, शैक्षणिक, स्वास्थ्य और लोकतांत्रिक रूप से अपने संवैधानिक हक अधिकारों के लिये जागरूक करने का प्रयास कर रहा है !भविष्य के लिए युवाओं को विकसित करने, सीखने और मशाल वाहक बनाने के लिए सशक्त बनाना, यह प्रमुख कार्य संगठन के लक्ष्य को प्राप्त करना है! ताकि भविष्य में युवा खुद के,अपने परिवार और समाज को नई दिशा देकर विकास के मुख्य धारा में सक्षम बना सके ! युवा सशक्तीकरण हेतु yavs कार्यक्रमों के माध्यम से लगातार आयोजन और जनजागरूकता जैसी नई योजनाओ की पहल करते रहता है।
2011 में डॉ प्रदीप उइके जी, डॉ राजेश कुमार धुर्वे ने "युवा आदिवासी संगठन " नाम देकर इसका प्रचार प्रसार किया जो बाद में युवा आदिवासी विकास संगठन के नाम से पहचाना जाने लगा जो एक गैर-लाभकारी संगठन है। यावस के संस्थापक डॉ प्रदीप उइके, सह संस्थापक डॉ राजेश कुमार धुर्वे ने समाज के वंचित बच्चों, महिलाओ , किसानो , बुजुर्गो और अंतिम पंक्ति में खड़े हर वर्ग की समस्या को देखते हुए उनके शिक्षा , स्वास्थ्य और दैनिक जीवन यापन की सुविधाओ को बेहतर बनाने के लिए उनकी मदद कैसे की जा सके , बेहतर अवसर प्राप्त करवाने उन्होंने यावस की नींव रखना उचित समझा और लगातार समाज की हरसंभव मदद करने का प्रयास करते रहते हैं !
आज यावस की वैचारिक क्रांति युवाओ को हर क्षेत्र में प्रेरित कर रहा है , युवाओ को सिखाता है कि उनकी समाज के लिये क्या जिम्मेदारियाँ हैं और उनका कर्तव्य क्या बनता हैं ! इसलिए यावस बहुत कम समय में नई ऊंचाई छू रहा है और समाज और जिले एवं प्रदेश की उम्मीद बन गया है ! यह आत्मविश्वास को विकसित करने में भी मदद करता है जो बदले में उनके दिमाग के विकास और मानसिक स्वास्थ्य को जोड़ता है। सभी विभिन्न रूपों में शिक्षा, अच्छा स्वास्थय , कला , संस्कृति, गरीबी के चक्र को तोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण आधार है।
जनवरी 2011 मे , मध्यप्रदेश के वर्तमान शासन के दौरान सामने आए बड़े भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण, आदिवासीयों पर बर्बरता की पृष्ठभूमि में एक नागरिक समाज आंदोलन का जन्म हुआ। विभिन्न पृष्ठभूमि के कार्यकर्ताओं का एक जन समूह एक साथ आया था । समाचार मीडिया से आने वाले हर खुलासे के साथ शोषण, भ्रष्टाचार, अत्याचार के खिलाफ जनता के गुस्से के साथ, एक मजबूत संगठन YAVS की मांग जो एक भ्रष्ट राजनीतिक प्रतिष्ठान से निपट सके, को आदिवासीयों के बीच व्यापक समर्थन मिला। आदिवासियों ने YAVS के माध्यम से तत्कालीन सरकार के विरोध में उठ खड़े हुए और जन समुदाय, आदिवासी पर हो रहे अत्याचार पर अंकुश रखने की मांग की।
दो-तीन वर्षों में सैकड़ों शहरों, कस्बों और गांवों में लाखों लोगों ने इस उद्देश्य के लिए खुद को संगठित किया। विरोध मार्च, राजनेताओं के घेराव, सोशल मीडिया अभियान - एक क्रांति शुरू हो गई थी। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ.प्रदीप उइके के नेतृत्व में, कई स्थानों पर हजारों लोगों ने जन पाँचवी-छटवी अनुसूचित का समर्थन करने के लिए तीन अलग-अलग अवसरों पर अनशन किया और लोगों की मांगों पर कार्रवाई करने के लिए सरकार पर दबाव डाला।
लोगों की मांगों को स्वीकार करने में सरकार की विफलता मध्यप्रदेश के राजनीतिक प्रतिष्ठान को तबाह करने वाले गहरे गहरे भ्रष्टाचार का परिणाम थी। एक उदेश्य पाँचवी-छटवी अनुसूचित सीधे राजनीतिक दलों और उनके नेताओं के हितों के लिए हानिकारक था।
तभी डॉ प्रदीप उइके एवं डॉ राजेश कुमार धुर्वे के नेतृत्व में YAVS कार्यकर्ताओं के एक वर्ग ने फैसला किया कि इस देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने का एकमात्र तरीका राजनीति में अच्छे लोगो को शामिल करना, सरकार में प्रवेश करना और व्यवस्था को भीतर से साफ करना है।
इस प्रकार युवा आदिवासी विकास संगठन नामक सामाजिक क्रांति की ओर भ्रष्टाचार विरोधी विरोध की यात्रा शुरू हुई।
अक्टूबर 2013 मे , मध्यप्रदेश के भाजपा शासन के दौरान सामने आए बड़े भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण, आदिवासीयों पर बर्बरता की पृष्ठभूमि में एक नागरिक समाज आंदोलन का जन्म हुआ। विभिन्न पृष्ठभूमि के कार्यकर्ताओं का एक जन समूह एक साथ आया था । समाचार मीडिया से आने वाले हर खुलासे के साथ शोषण, भ्रष्टाचार, अत्याचार के खिलाफ जनता के गुस्से के साथ, एक मजबूत संगठन JAYS की मांग जो एक भ्रष्ट राजनीतिक प्रतिष्ठान से निपट सके, को आदिवासीयों के बीच व्यापक समर्थन मिला। आदिवासियों ने JAYS के माध्यम से तत्कालीन सरकार के विरोध में उठ खड़े हुए और जन समुदाय, आदिवासी पर हो रहे अत्याचार पर अंकुश रखने की मांग की।
दो-तीन वर्षों में सैकड़ों शहरों, कस्बों और गांवों में लाखों लोगों ने इस उद्देश्य के लिए खुद को संगठित किया। विरोध मार्च, राजनेताओं के घेराव, सोशल मीडिया अभियान - एक क्रांति शुरू हो गई थी। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ.हीरालाल अलावा के नेतृत्व में, कई स्थानों पर हजारों लोगों ने जन पाँचवी-छटवी अनुसूचित का समर्थन करने के लिए तीन अलग-अलग अवसरों पर अनशन किया और लोगों की मांगों पर कार्रवाई करने के लिए सरकार पर दबाव डाला।
लोगों की मांगों को स्वीकार करने में सरकार की विफलता मध्यप्रदेश के राजनीतिक प्रतिष्ठान को तबाह करने वाले गहरे गहरे भ्रष्टाचार का परिणाम थी। एक उदेश्य पाँचवी-छटवी अनुसूचित सीधे राजनीतिक दलों और उनके नेताओं के हितों के लिए हानिकारक था।
तभी डॉ हिरालाल अलावा के नेतृत्व में JAYS कार्यकर्ताओं के एक वर्ग ने फैसला किया कि इस देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने का एकमात्र तरीका राजनीति में शामिल होना, सरकार में प्रवेश करना और व्यवस्था को भीतर से साफ करना है।
इस प्रकार जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन नामक सामाजिक क्रांति की ओर भ्रष्टाचार विरोधी विरोध की यात्रा शुरू हुई।
एक सामाजिक क्रांति का जन्म
जनवरी , 2011 को YAVS का जन्म भारत के सामाजिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण था। इसने अचानक आम नागरिकों के लिए दरवाजे खोल दिए, जो देश की राजनीति और शासन को किनारे से देख रहे थे, एक सामाजिक दल का हिस्सा बनने के लिए। प्रवेश में कोई बाधा नहीं थी जिसके कारण पारंपरिक राजनीतिक संगठन पारिवारिक जागीर या सांप्रदायिक संगठन बन गए थे। महिलाएं और पुरुष, बूढ़े और जवान, गरीब और अमीर - सभी का इस नये संगठन में युवा आदिवासी विकास संगठन के रूप में स्वागत किया गया। YAVS ने जिले एवं प्रदेश (भारत) में संस्कृति बचाओ, महापुरुषों को याद करों,पारम्परिक ग्राम सभा बनाओ,पाँचवी और छटवी अनुसूचित के मॉडल का बीड़ा उठाया, जिसमें शुरुआत से ही संगठन चल रही थी। व्यवस्था से भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण, गरीबी को समाप्त करने और वैकल्पिक राजनीति का एक मॉडल पेश करने के वादे के साथ, YAVS ने अपनी भव्य प्रविष्टि बनाई,
2013 - पाँचवी-छटवी अनुसूचित पर चर्चा के लिए बैतूल के आदिवासी मंगल भवन मे आदिवासियों का हुजूम था, YAVS संस्थापक डॉ प्रदीप उइके के साथ सह संस्थापक डॉ राजेश कुमार धुर्वे ने विधानसभा चुनाव से पहले YAVS (युवा आदिवासी विकास संगठन ) ने जो पहला मुद्दा उठाया, वह था पारम्परिक ग्राम सभा,पाँचवी-छटवी अनुसूचित और संविधान बचावों । YAVS ने माफिया के साथ मिलीभगत के खिलाफ सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के खिलाफ एक आंदोलन शुरू किया।
2014 - YAVS की शुरुआत ने राजनीतिक वर्ग को हिलाकर रख दिया, मुख्यधारा के राजनीतिक दलों, राजनीतिक ज्ञाता और समाचार मीडिया ने YAVS की ताकत देखना शुरू कर दी, YAVS ने वह स्कोर किया जो अब तक के सबसे बड़े राजनीतिक उतार-चढ़ावों में से एक माना जाता है।
2015- YAVS का जूनून बढ़ता जा रहा था, संस्थापक डॉ प्रदीप उइके एवं सह संस्थापक डॉ राजेश कुमार धुर्वे ने अन्य प्रदेशो मे भ्रमण कर युवावो को जगाने लगे,अब संगठन को देख उनका होशला बढ़ता गया.
2016- YAVS के सामने विपदा आ गई, वर्तमान भाजपा सरकार ने आदिवासी पोस्ट मेट्रिक छात्रावास मे से कॉलेज के छात्रों को बेदखल का फरमान जारी किया गया, दुःखी कॉलेज छात्रावासी छात्र जुड़ने लगे लड़ने वाला कोई नहीं क्या करें क्या नहीं, YAVS का धीरे धीरे काफी उदय हो चूका था, मगर कॉलेज छात्रावास के छात्रों ने गुट बनाना प्रारम्भ किया, मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने भोपाल पुरे प्रदेश के छात्र आये, हजारों की संख्या मे छात्र आंदोलन कर रहे थे, वही उस आंदोलन से नाम पड़ा ACS (आदिवासी छात्र संगठन),जिसको YAVS का पूर्ण समर्थन दिया गया, जैसे तैसे आदेश रद्द हुआ, मगर जो भाजपा सरकार ने आदिवासी छात्रों को परेशान किया पच नहीं रहा था.
2017- भाजपा के छात्रावास बेदखल फरमान से भले ही संतुष्टि (राहत) मिली हो पर दुखती नस से छात्रावासी छात्र तो परेशान थे ही गुस्सा अस्मा पर था, तभी कॉलेज मे छात्र संग चुनाव का आगाज हुआ, आदिवासी छात्र अपने हर कॉलेज मे तैयार थे, जैसे ही चुनाव हुए, पुरे प्रदेश आदिवासी क्षेत्र ACS, GSU, YAVS,JAYS का दबदबा दिखा, प्रदेश की राजनीति हल गई, सभी राजनीतिक पार्टी चिंतित हो गई,
की कही गोगपा के बाद आदिवासी संगठन प्रदेश की तीसरी शक्ति बनकर तो नहीं उभरेंगी, डर साफ था न्यूज़ से लेकर अखबार तक खबरे जोरो पर थी.
2018- YAVS के संस्थापक डॉ प्रदीप उइके एवं संरक्षक रामचरण इरपाचे, सह संस्थापक डॉ राजेश कुमार धुर्वे पुरे जिले एवं प्रदेश का भ्रमण करने लगे, पारम्परिक ग्राम सभा,पाँचवी एवं छटवी अनुसूचित के साथ संविधान बचाओ का नारा तेजी से वायरल होने लगा, जगह-जगह अन्य सामजिक संगठन स्वागत करते और प्रदेश मे नया देखना चाहते थे, थक गये थे, अत्याचार सहते हुये, शोषण होते हुए, अब नई उम्मीद जाग गई थी।
2019 - आदिवासीयों पर हुये अत्याचार का बदला विधानसभा चुनाव मे देखने मिला।
2020 - कोरोना दस्तक मे YAVS की सम्पूर्ण विकास खंड,जिले,प्रदेश की टीम ने हर संभव मदद की, जितना हो सका सहारा दिया.
2021- जोर जुल्म के खिलाफ डटा रहा तो सर्फ YAVS, आदिवासीयों की आवाज बनकर उभरता रहा,
फिर कोरोना सेकेंड राउंड आ गया, YAVS के युवावो ने मिशाल कायम किया,बाहरी मजदूरी के लिए गये बाहर से लोगो को बस, फोरविहिलर अन्य से जिले तक लाने का काम किया,जो बन सका हर संभव प्रयास.